नैनीताल : प्राकृतिक संपदा को यूं न गवाएं, वनों को आग से बचाएं थीम पर वनाग्नि सुरक्षा जागरूकता सेमिनार पर डीएफओ टीआर बीजूलाल ने बताया किस तरह जंगलों को बचाएं

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नैनीताल– नैनीताल वन प्रभाग द्वारा डीएसबी परिसर में
वनाग्नि सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शनिवार को डीएसबी कैंपस के ओल्ड आर्ट्स में स्थित सेमिनार हॉल में नैनीताल वन प्रभाग द्वारा आयोजित वनाग्नि सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम का मुख्य अतिथि डीएफओ टीआर बिजूलाल ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस दौरान प्रो. ललित तिवारी ने सेमिनार में मौजूद लोगों को सम्बोधित कर कहा कि उत्तराखंड में लगातार तेजी से न सिर्फ जंगल व वन्य जीव जल रहें है बल्कि मानव जाति के लिए भी वनाग्नि घातक हैं। वहीं जंगल की आग पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचाती हैं। जिससे ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही तापमान में भी भारी वृद्धि होती हैं। जिससे लगातार ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा हैं जो अच्छा संकेत नहीं हैं। वहीं कहा की जंगलों में लगातार बढ़ रही वनाग्नि की घटनाओं से प्राकृतिक जलस्रोत भी सूख रहे हैं।
वहीं डीएफओ टीआर बिजूलाल ने बताया की 15 फरवरी से लेकर 15 जून तक फायर सीजन शुरु हो जाता हैं।बताया की फायर सीजन शुरु होने से पहले ही वन विभाग द्वारा वनाग्नि से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली जाती हैं। लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक मात्रा में मौजूद चीड़ के पेड़ो से गिरने वाले पीरुल की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में वनाग्नि की घटनाएं ज्यादा होती हैं।
बताया की जंगलों को आग से बचाने के लिए फायर सीजन से पहले ही वन विभाग द्वारा जंगलों से पीरूल को हटाया दिया जाता हैं। लेकिन उसके बावजूद भी कभी कभी मानवीय कारणों से जंगलों में आग लगने की घटनाएं होती हैं। बताया की वनाग्नि की घटनाओं पर नजर रखने के लिए जंगलों पर ड्रोन मॉनिटरिंग भी की जाती हैं। वहीं बताया की वन विभाग के पास फॉरेस्ट गार्डों की भी कमी हैं जिस कारण भी वन कर्मियों को आग बुझाने में ज्यादा समय लग जाता हैं। इसके साथ ही डीएफओ बिजूलाल ने बताया की जंगलों में आग लगाने वालो की सूचना देने वाले व्यक्ति को वन विभाग द्वारा दस हजार रूपए ईनामी राशि भी दी जाएगी। जिसपर उन्होंने लोगों से इन नबरों पर आग लगाने वालो की सूचना देने की अपील की हैं, 9410348920 , 7505222560।
वहीं इस दौरान जीबी पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. हिमांशु पांगती ने छात्रों को मानव वन्यजीव संघर्ष पर व्याख्यान देते हुए बताया की जंगल में तेजी से बढ़ता जा रहा मानव दखल वर्तमान में मानव वन्यजीव संघर्ष का प्रमुख कारण हैं, जिसके लिए उन्होंने लोगों से जंगलों में मानवीय दखल को कम करने की अपील करते हुए कहा कि मानव को जंगल में बढ़ते अपने दखल को कम करना होगा जिसके बाद ही मानव वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सकता हैं।
कार्यक्रम का संचालन रजनी रावत द्वारा किया गया।
वहीं इस दौरान रेंजर ममता चंद, प्रो.डॉ. पदमबिष्ट, प्रो. डॉ. आशीष तिवारी, एनएस लोधियाल, प्रो. डॉ. नीलू लोधियाल, हर्ष चौहान, आनंद, अभिषेक मेहरा, पंकज भट्ट समेत अन्य लोग मौजूद रहें।

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