नैनीताल: भाजपा से सरिता आर्य को टिकट मिलने पर विधायक के दावेदारों ने हाईकमान के फैसले का किया विरोध, निर्दलीय चुनाव लड़ने पर हो सकतें है मजबूर

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नैनीताल। राज्य में जैसे जैसे विधानसभा सभा चुनाव की तिथि नजदीक आ रहीं है, वैसे वैसे अब उत्तराखण्ड की सियासत में नए नए रंग देखने को मिल रहे है। कहीं दलबदल चल रहा है तो कहीं नेताओं ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं। वहीं हाल ही में पूर्व कांग्रेस महिला प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य के भाजपा में आने से राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। सरिता आर्य के पार्टी में आते ही हाईकमान से सरिता को टिकट मिलने पर भाजपा में कई वर्षों से कार्यरत नेता जो चुनाव की तैयारियों में जोर-शोर से जुटे हुए थे उन्हें हाईकमान के इस फैसले से बड़ा आघात पहुंचा है। जिसके बाद अब इन सभी नेताओं ने भी अपनी पार्टी के खिलाफ बगावती सुर छेड़ दिए हैं।

जिसको लेकर शुक्रवार को विधायक की दावेदारी पेश कर रहे मुख्यमंत्री के पीआरओ दिनेश आर्य, प्रकाश आर्य, व कमला आर्य ने प्रेस वार्ता की। इस दौरान दिनेश आर्य ने कहा कि वह 2002 से लगातार भाजपा पार्टी से जुड़े हुए हैं और लगातार पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं बावजूद इसके भी पार्टी में उन पर भरोसा न करते हुए चार दिन पूर्व कांग्रेस से आई सरिता आर्य पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दे दिया। जिससे कार्यकर्ताओं समेत दावेदारों को गहरा आघात पहुँचा है। जबकि पार्टी को भाजपा के ही पुराने कार्यकर्ता को टिकट देना चाहिए था। कहा की बीते माह संजीव आर्य के भाजपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनके द्वारा गांव गांव जाकर चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई थी और बीते माह आई आपदा से पीड़ित लोगों की भी उन्होंने हरसंभव सहायता की थी। उन्होंने कहा कि ऐसे दल बदलुओं से जनता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। दिनेश आर्य ने कहा कि पार्टी के इस निर्यण का वह विरोध करतें है। कहा कि वह निर्दलीय भी चुनावी मैदान में उतर सकतें है।

इस दौरान संतोष साह, शिवांशु आर्य आदि मौजूद रहें।

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