नैनीताल: शैक्षिक सत्र 2022- 23 में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में लागू होगी नई शिक्षा नीति :- उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत

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नैनीताल। राज्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने के लिए “नेशनल एजुकेशन पालिसी करिकुलम डिज़ाइन फॉर स्टेट ऑफ़ उत्तराखंड” विषय पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय में गुरुवार को तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुभारम्भ हो गया है। जिसका शुभारम्भ कुविवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी व विशिष्ट अतिथि कुलपति उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय प्रो. ओपीएस नेगी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, कुलपति देव सुमन विश्वविद्यालय प्रो. पीपी ध्यानी एवं कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल द्वारा वर्चुअल रूप में प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला के पहले दिन तकनीकी सत्रों में विज्ञान संकाय के पाठ्यक्रमों में सुझाव व सुधार कर उसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअल रूप से प्रतिभाग करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के अलग-अलग स्तरों पर सभी विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा, कला, संस्कृति एवं मूल्यों का समावेश की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति की आत्मा व इसका ध्येय मुख्य रूप से ऐसी शिक्षा व्यवस्था का विकास करना है, जिसमें अध्ययन सामग्री, संसाधनों का विकास और उनके माध्यम से प्रदान की जाने वाले शैक्षणिक उत्कृष्टता को प्राप्त करना है। उन्होंने कार्यशाला के आयोजक कुमाऊँ विश्वविद्यालय के साथ ही प्रतिभाग कर रहे सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं विषय विशेषज्ञों को बधाई देते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य आज नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों व लक्ष्यों को योजनागत रूप से लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि शैक्षिक सत्र 2022-23 में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति को लागू किया जायेगा। इसके तहत तैयार किये जा पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति की मूल आत्मा के अनुरूप एवं व्यवहारिक होने के साथ-साथ रोजगारपरक भी होंगे।

राज्य में नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम तैयार करने वाली कमेटी के अध्यक्ष कुलपति प्रो. एनके जोशी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तीन दिवसीय कार्यशाला में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री एवं रिसर्च डिग्री के आधार पर स्नातक एवं स्नातकोत्तर विषयों के बनाये गए पाठ्यक्रमों पर विषय विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत में चर्चा की जाएगी। स्नातक स्तर पर 4 वर्ष एवं संरचना में बदलाव की दृष्टि से पाठ्यक्रम के स्वरुप में बदलाव मुख्य विषय व इलेक्टिव विषय के समूहों का निर्धारण करना होगा। शोध अनुसंधानों में भी प्रथम वर्ष से शोध का उन्मुखीकरण प्रारंभ करना होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु 70% पाठ्यक्रम पूरे राज्य के विश्वविद्यालयों में एक जैसा होगा एवं 30% पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय अपनी भौगोलिक परिस्थितियों, क्षेत्रीय स्तर की अपेक्षाओं, संसाधनों के अनुरूप रख सकते हैं। राष्ट्रीय कार्यशाला में प्राप्त सुझावों एवं सुधारों के पश्चात् सभी पाठ्यक्रमों को वेबसाइट में उपलोड कर दिया जायेगा।

विशिष्ट अतिथि कुलपति उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय प्रो. ओपीएस नेगी ने कहा कि वोकेशनल पाठ्यक्रमों एवं सह-पाठयक्रम पाठ्यक्रमों के निर्माण में उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी क्योंकि मुक्त विश्वविद्यालय तीन बातों एनी वेयर, एनी टाइम, एनी प्लेस पर पहले से ही कार्य के साथ ही अपने पाठ्यक्रमों को रोजगारपरक एवं सर्वसुलभ बनाता है। उन्होंने कहा कि नई नीति में ज्ञान आधारित सृजनात्मकता व रचनात्मकता का खाका है। नई शिक्षा नीति छात्र-छात्राओं के सपनों को पंख देगी।

इस दौरान विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. एबी मेलकानी, कला संकायाध्यक्ष प्रो. आरके पांडे, वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी, प्रबंधन संकायाध्यक्ष प्रो. पीसी कविदयाल, संकायाध्यक्ष विज़ुअल आर्ट्स प्रो. एमएस मावरी, कुलसचिव दिनेश चन्द्रा, डीएसबी निदेशक प्रो. एलएम जोशी, प्रो. ललित तिवारी, प्रो. राजीव उपाध्याय, प्रो. गिरीश रंजन तिवारी, प्रो. सावित्री जंतवाल, प्रो. अमित जोशी, उप कुलसचिव दुर्गेश डिमरी, डॉ. रितेश साह मौजूद रहें।

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