सघन सत्यापन अभियान के तहत राज्यभर में पुलिस में 47 हजार लोगों के किए सत्यापन, संदिग्ध लोगों पर की कार्रवाई

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह के आदेशानुसार उत्तराखंड के सभी जिलों में पुलिस द्वारा सघन सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस द्वारा घर -घर जाकर दस्तावेज़ की जांच कर बाहरी लोगों के सत्यापन किए जा रहें है। वही अब तक राज्यभर में करीब 47 हज़ार लोगों का सत्यापन किया गया है। इस दौरान करीब 3000 लोग संदिग्ध पाए गए है। जिस पर पुलिस ने इन सभी संदिग्धों के खिलाफ चालानी कार्रवाई भी की है। यह सत्यापन अभियान उन लोगों के लिए है जिसके पास न तो आधार कार्ड है ना ही कोई और पहचान पत्र साथ ही जिनके पास एक से अधिक अलग अलग क्षेत्र के आधार कार्ड है और वो सभी संदेह के घेरे में है उनके खिलाफ भी यह सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है। इनमें मुख्य रूप से बांग्लादेश के रोहिंग्या शामिल है।

बांग्लादेश से आकर उत्तराखंड में रह रहें रोहिंग्या लोगो को लेकर हाईकोर्ट अधिवक्ता नितिन कार्की और बीजेपी नेता मनोज जोशी ने सीएम धामी को ज्ञापन सौपा है।
सूत्रों की मानें तो रोहिंग्या दलालों के माध्यम से हल्द्वानी, नैनीताल,उधमसिंह नगर, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, पिथौरागढ़ समेत अन्य स्थानों पहुंच रहे है। पहाड़ी क्षेत्रों में 2012 के बाद इनकी संख्या लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। और इससे उत्तराखंड की सामाजिक व सांस्कृतिक विरासत पर खतरा मंडरा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि पहाड़ों के कुछ स्थानीय लोग दलालों के माध्यम से सस्ती कीमत पर बाहरी लोगों को ज़मीन भी बिना सत्यापन के बेच रहे है। इतना ही नही बल्कि जंगलों, रेलवे पटरी के किनारे,नेशनल हाईवे के किनारे समेत अन्य स्थानों पर भी अस्थाई अतिक्रमण देखने को मिल रहा है जहां कई नए चेहरों को निवास करते हुए भी देखा जा सकता है। 2012 के बाद से कुछ धार्मिक स्थलों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है जो कि धर्म की आड़ लेकर किया जा रहा है। सरकारी भूमि पर धार्मिक स्थल के नाम पर कई जगह सिर्फ दीवारें खड़ी कर दी गयी है और वहां धार्मिक स्थल के नाम पर ज़मीन पर कब्जा कर लिया गया है। उत्तराखंड के स्थानीय लोग इस मामले से काफी भयभीत है। उत्तराखंड के वो लोग जो बाहर दिल्ली,मुंबई, या विदेशों में रोजगार के लिए गए है उन्हें भी अब चिंता सताने लगी है।

उत्तराखंड में इस तरह की घुसपैठ पर बिना नाम प्रकाशित करने की शर्त पर एक प्रवासी भारतीय ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड वालों को जागना होगा ताकि उत्तराखंड जलता हुआ कश्मीर न बन पाए । आने वाले समय मे इस तरह की घुसपैठ पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। उत्तरप्रदेश से सटे उत्तराखंड के कई जिले अतिसंवेदनशील श्रेणी में है जहाँ रोहिंग्या को मदद की जा रही है।
उनका ये भी कहना है कि रोहिंग्याओ के आधार कार्ड की भी जांच होनी चाहिए। सत्यापन अभियान में कुछ लोगो के पास एक से अधिक आधार कार्ड मिले है। जिससे स्थानीय ग्राहक सेवा केंद्र भी शक के दायरे में है ।
ऐसे में सीएससी सेंटरों की भी जांच होनी चाहिए, और जिस व्यक्ति ने ग्राहक सेवा केंद्र खोल रखा है उसका सामाजिक दृष्टिकोण से सत्यापन भी जरूरी है । यदि आधार कार्ड सीएससी सेंटर से बनाये जाते है , इसीलिए पुलिस को चाहिए कि सत्यापन अभियान के तहत ग्राहक सेवा केंद्र की भी जांच के साथ ग्राहक सेवा केंद्र के स्वामी की भी जांच हो । साथ ही सत्यापन अभियान केवल दिन में ही न करके रात को भी डोर टू डोर किया जाए ताकि दिन में गायब रहने वाले संदिग्ध रात को पकड़ में आ सके । विशेषकर नैनीताल में कई स्थानीय लोग ज्यादा पैसे की चाहत में बिना होम स्टे पंजीकरण के पर्यटन सीजन में कमरे किराये पर लगा लेते है जहां आने वाले पर्यटक से किसी भी तरह का दस्तावेज ले पाना मुश्किल हो जाता है और शहर में रहने का संदिग्धों को मौका मिल जाता है ।

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