नैनीताल : तीन दिवसीय कुमाउनी हरयावक त्यार का हुआ समापन

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नैनीताल। कुमाउनी में बातचीत ,नाटक,मांगल गीतों,पुस्तकालय के शुभारम्भ के साथ हुआ तीन दिवसीय हरयावक त्यार का समापन…क्यारी में चल रहे तीन दिवसीय हरयावक त्यार कार्यक्रम का रविवार को रँगारंग कार्यक्रमो के साथ समापन हो गया। अलाया रिजॉर्ट क्यारी ,कार्बेट लैंडस्केप की पहल पर हो रहे इस कार्यक्रम के समापन पर पीएनजीपीजी महाविद्यालय रामनगर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गिरीश पन्त ने अपने कुमाउनी में दिए गए वक्तव्य में हरेले के सभी पहलुओं पर विस्तार से बातचीत रखी।
उन्होंने कहा इस लोक पर्व को सावन माह के पहले दिन मनाया जाता है, इस दिन सूर्य रेखा से मकर रेखा की ओर अग्रसर होता है,इसलिए इस त्योहार को कर्क संक्रांति भी कहते हैं।
इस त्योहार के तीन चरण होते हैं गेहूं,जो,सरसों,मक्का, गहत, भट्ट,उड़द के बीजों को बोना,शिव परिवार के डिकरे बनाना व अंत में त्योहार के दिन हरेले का पूजन कर उस को काटना। हरेले के दिन बुजुर्ग महिला सिर पर हरेला रख आशीर्वचन देती हैं।
परिवार के प्रवासी लोगों को पिठ्या, हरेले को लिफाफे में रख भेजा जाता है।हरेले पर गाय का गोबर लगा घर के दरवाजे पर भी लगाया जाता है।इस मौके पर फलदार पेड़ लगाने की भी परम्परा है।
इस दौरान अभिनय ग्रुप द्वारा असोसिएट प्रोफेसर गिरीश पंत के वकतव्य पर प्रभात नेगी,शिखर बिष्ट,भावना भट्ट और ललित बिष्ट द्वारा एक रंगमंचीय प्रदर्शन भी किया गया।
पवलगढ़ से आये हुए दुर्गा स्वयं सहायता समूह के सदस्यों ने मांगलिक गीत व कुमाउनी गीत प्रस्तुत किये।
इस दौरान मौजूद अतिथियों द्वारा उत्तराखण्डी लोक सहित्य व लोक संस्कृति पर केंद्रित एक पुस्तकालय का भी उद्घाटन किया गया।अलाया रिसार्ट के संचालक मनीष कुमार ने कहा हमारा भरसक प्रयास रहेगा कि हमारे वहां आने वाले टूरिस्ट को हम न केवल उत्तराखण्डी संस्कृति से परिचित करवाएं बल्कि उनको उपहारस्वरूप उत्तराखण्डी साहित्य भी भेंट करें।

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