नैनीताल: संजीव आर्य मुर्दाबाद ! चुनावी प्रचार के लिए गए संजीव आर्य को झेलना पड़ा विरोध प्रदर्शन, जनता ने बीच बाजार में लगाए संजीव आर्य विरोधी नारे

Spread the love

नैनीताल। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तिथि अब नजदीक है। जिसको लेकर पार्टी के नेताओं की तैयारियां जोर शोर से चल रहीं है। वहीं शनिवार को कांग्रेस के विधायक प्रत्याशी संजीव आर्य अपनी चुनावी प्रचार के लिए भवाली गए थे। जहाँ पर संजीव आर्य को विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। जहाँ पर एक ऐसा एक नज़ारा देखने को मिला संजीव आर्य अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार कर रहे थे तभी लोगो की नाराज़गी फूट पड़ी। इस दौरान एक दुकानदार राकेश रावत और उनके पुत्र पवन रावत ने हाथ में माइक लेकर संजीव आर्य मुर्दाबाद के ज़ोर ज़ोर से नारे लगाने लगे और शहर की कई महिलाओं पर लगे फर्जी मुकदमों का विरोध करते हुए भवाली बाजार में सजीव आर्य मुर्दाबाद के नारे लगाए,और कहा कि संजीव आर्य के समय नगर पालिका अध्यक्ष भवाली ने मंत्री और विधायक संजीव आर्य की आड़ में शहर के दर्जनों लोगों पर फर्जी मुकदमें लगाएं उस पर संजीव आर्य की चुप्पी साफ इशारा करती है कि इसमें वो भी शामिल थे। एक दुकानदार ने प्रचार के लिए निकली रैली को आवाज़ देकर उसकी बात सुनने को भी कहा,लेकिन संजीव आर्य नहीं रुके उन्होने वह से निकाल जाने में ही भलाई समझी । बहरहाल भवाली में संजीव आर्य को दुकानदारों और दर्जनों महिलाओं का विरोध प्रदर्शन ही मिला। भवाली की जनता संजीव आर्य से नाराज है और संजीव आर्य अपने प्रचार प्रसार में मस्त है। हर बार की तरह इस बार भी वो चुनावी वादे कर रहे है,उधर जनता भी समझ रही है ये वादे कोरे है और तोड़ने के लिए है।
गौरतलब है एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि पिछले 10 वर्षों में बीजेपी और कॉंग्रेस के नेताओं ने 8245 घोषणाएँ कि लेकिन 10 वर्ष के पश्चात भी केवल 18 योजनाएँ ही धरातल पर पूरी तरह उतर पायी बाकी सभी अधूरी है । नैनीताल के आस पास के आज भी कई गाँव ऐसे है जहां सड़क नहीं है सरकारी विभाग में अनुबंधित एक कर्मचारी जो नैनीताल से सुदूर एक गाँव से करीब रोज पाँच घंटे पैदल आना जाना करता है जब आवाज़ इंडिया कि टीम उस गाँव पहुंची तो पता लगा कि 20 वर्ष पहले कोई जनता का प्रतिनिधि वहाँ पहुंचा था उसके बाद कोई नहीं इसी तरह से नैनीताल से 15 किलोमीटर दूर एक और गाँव है खूपी जहां आज भी पानी कि पाइप लाइन नहीं है आज भी गाँव वासी गंदा पानी पीने को मजबूर है । नैनीताल में विधायक चाहे बीजेपी का हो या कॉंग्रेस का विकास के नाम पर सिर्फ वोट मांगे जाते है किया नहीं जाता ।


आपको बता दें नैनीताल विधानसभा सीट राज्य की हॉट सीट है। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 में इस सीट के लिए पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ। 2002 के चुनाव में उत्तराखंड क्रांति दल के नारायण सिंह जंतवाल नैनीताल सीट से विधायक निर्वाचित हुए,2007 के विधानसभा चुनाव में नैनीताल विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर खड़क सिंह बोहरा और 2012 में कांग्रेस की सरिता आर्य विजयी रहीं,और 2017 में संजीव आर्य विजय रहे। उत्तराखंड में जब भी एनएच 74 घोटाले या बद्रीनाथ घोटाले का नाम आता है राजनैतिक गलियारों पिता और पुत्र पर घोटाले के आरोप सुर्खियों में तैरने लगते है ,जब ये बीजेपी पार्टी में होते है तो कोंग्रेसी नेता पिता पुत्र के ऊपर घोटालों के आरोप लगाते है और जब ये कॉंग्रेस में होते है तो बीजेपी नेता इन पर घोटालों के आरोप लगाते है आरोप सही हो या गलत जनता तो बेचारी वोट देकर अपनी ज़िम्मेदारी निभाती है लेकिन अन्तः जनता को मिलता तो धोखा ही है ।

error: Content is protected !!