नैनीताल: महामहिम राज्यपाल गुरमीत सिंह पहली बार पहुँचे नैनीताल कहा उत्तराखंड एक सैनिक धाम के रूप में हैं

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नैनीताल। उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह राज्यपाल बनने के बाद पहली बार नैनीताल आगमन पर सैनिक स्कूल घोड़खाल में शिरकत की। उन्होंने घोड़ाखाल सैनिक स्कूल में शक्ति सैनिक स्मारक का लोकार्पण करते हुए वीर सैनिकों को नमन करते हुए पुष्प चक्र एवं श्रृद्वासुमन अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्वांजलि दी। इसके उपरांत रतनदीप सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के सभागार में अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तराखण्ड एक सैनिक धाम के रूप में है। यहाँ के प्रत्येक परिवार से सेना में जाकर अपने देश के प्रति जो उल्लास देखा जाता है। वह एक देश के लिए अच्छी पहल है। इस स्कूल में हर एक परिवार से एक सैनिक आते हैं। जिनके विजय की गाथाएं शायद हमेशा सुनाई जाती रहेंगी। उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर को भी भारत में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह दिन इसलिए मनाया जाता है क्योंकी इस दिन भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली थी। 16 दिसंबर 1971 को ढाका में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। 13 दिन तक चले इस युद्ध में कई भारतीय जवान शहीद हुए थे। इस दिन को बांग्लादेश में बिजॉय डिबोस या बांग्लादेश मुक्ति दिवस भी कहा जाता है, और यह पाकिस्तान से बांग्लादेश की आधिकारिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मैं यहॉ आ कर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूॅ। यहॉ पर जो बच्चें आज सेना से सम्बन्धित शिक्षा ले रहे हैं वह आने वाले समय में देश की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है। राज्यपाल ने परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया। यह स्मारक भारत के वीर, पराक्रमी, साहसी सैनिकों की याद में बनाया गया है।यह स्मारक हमारे देश के सैनिकों के शौर्य और बलिदान को दर्शाता है, जिन्होंने अपना सर्वस्व भारत के लिए अर्पित कर दिया। राज्यपाल महोदय का स्वागत सैनिक स्कूल के प्रधानाचार्य ग्रुप कैप्टन विजय कुमार ठाकुर द्वारा किया गया। इसके पश्चात् राज्यपाल महोदय को विद्यालय के कैडेट्स द्वारा गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया। साथ ही विद्यालय के कैडेट्स द्वारा स्कूल बैंड का उत्कृष्ट प्रदर्शन भी किया गया।
माननीय राज्यपाल ने कैडेट्स का उत्साहवर्धन करते हुए उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सराहना की। उन्होंने कैडेट्स एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा समाज में परिवर्तन का प्रमुख कारण है. इस दिशा में सैनिक स्कूल, बच्चों में बहुमुखी प्रतिभा को विकसित करता है, जो छात्रों को एक अत्यधिक ज़िम्मेदार और सफल नागरिक बनाने में सहायक होता है। सैनिक स्कूल के कैडेट्स को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त हो जाते हैं एवं राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और आगे सशस्त्र बलों में प्रशिक्षण की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं। राज्यपाल ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला में अधिकतम संख्या में कैडेट्स भेजने के लिए, सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा इस असाधारण उपलब्धि को संभव बनाने में सभी शिक्षकों एवं कैडेट्स का अथक प्रयास एवं योगदान है. सैनिक स्कूल, घोड़ाखाल 9 बार प्रतिष्ठित रक्षा मंत्री ट्राफ़ी का विजेता रहा है, जो अपने आप में ही मील का पत्थर है।
इस अवसर पर आयुक्त कुमाऊँ मण्डल श्री दीपक रावत, डीआईजी डॉ निलेश आनन्द भरणे, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रीति प्रियदर्शिनी, संयुक्त मजिस्ट्रेट प्रतीक जैन, विद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल राजेश सिंह द्वारा दिया गया। मंच का संचालन स्कूल कैप्टन कैडेट शिवराज पछाई द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन उप प्रधानाचार्य स्क्वाड्रन लीडर टी. रमेश कुमार द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा, जिन्होंने माननीय राज्यपाल महोदय को हृदय से धन्यवाद दिया।

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