अर्थ डे ! पृथ्वी वो ग्रह है जो हमारा भार धारण करती है, इस धरती को बचाने में इस तरह योगदान दें :- प्रो. ललित तिवारी

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नैनीताल । पृथ्वी वो ग्रह है जिस पर हम रहते है , वह हमारा भार धारण करती है पुराण और वेद अनुसार धरती सूर्य का एक अंश है। पृथ्वी ब्रह्मांड में एकमात्र ग्रह है जहा जीवन पाया जाता है क्षेत्रफल 71 प्रतिशत नमकीन जल से घिरा है । यह ये विशाल परिस्तिथिक तंत्र है तथा इसका पर्यावरण जीवन को संचालित करता है विश्व की नदिया गंगा जमुना नर्मदा सीन टोंस प्रदूषित है तो ओजोन परत भी प्रभावित है पृथ्वी का तापक्रम बदलना ही ग्रीन हाउस है अथर्वेद में कहा है माता भूमि पुत्रो पृथिवीया अथवा भूमि माता हम पृथ्वी के पुत्र है। पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है, जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है। पृथ्वी दिवस का महत्व इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि, इस दिन हमें ग्लोबल वार्मिंग के बारे में पर्यावरणविदों के माध्यम से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का पता चलता है । हर वर्ष 22 अप्रैल को पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। अर्थ डे पहली बार 22 अप्रैल 1970 को 193 देशों में मनाया गया। इस दिवस का प्रारंभ अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी। सन् 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर में विश्व के 172 देशों ने पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दिवस को प्रारंभ में उत्तरी गोलार्ध के वसंत तथा दक्षिणी गोलार्थ के पतझड़ के प्रतीक के रूप में मनाया जाता था लेकिन, दुनिया में अब 22 अप्रैल को ही ‘वर्ल्ड अर्थ डे’ मनाया जाता है ।

वैसे तो ऐसे कई तरीके हैं जिससे हम अकेले और सामूहिक रूप से धरती को बचाने में योगदान दे सकते हैं तथा हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करते रहना जरूरी है। विश्व को इसके लिए एक होना होगा जिससे पर्यावरण को सतत विकास के क्रम में संरक्षित रखा जा सके। ग्लोबल वार्मिंग जलवायु परिवर्तन प्रदूषण गंभीर समस्याएं है 2021की थीम रिस्टोर दी अर्थ थी तो संयुक्त राष्ट्र का 2021से 2030 का दशक इकोसिस्टम रेस्टोरेशन है पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी सम्मिलित होते हैं। धरती को बचाने का आशय है अपने जीवन की रक्षा के लिए पहल करना है । इसे लेकर कभी सामाजिक जागरूकता और न राजनीतिक स्तर पर कभी कोई ठोस पहल नहीं हो पाई।

हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पृथ्वी दिवस को लेकर देश और दुनिया में जागरूकता का भारी अभाव है! सभी को इसमें कुछ न कुछ आहुति देना पड़ेगी तभी बात बनेगी।

पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, तो कम से कम इतना तो करें कि पॉलिथीन के उपयोग को न कारें, कागज का इस्तेमाल कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें.. क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसाइकल होगी, उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा।आज तक 8462प्रजातियां विलुप्त हो गई है4415 रेड सच में है ।अम्ल वर्षा समुन्द्र का एमलीकरण प्रकीतिक आवासों का क्षय ,तापक्रम बड़ना आज चुनौतियां है।65 वृक्षों की आक्सेजन एक मनुष्य 70वर्ष में लेता है तथा 144करोड़ प्लास्टिक की बोतल एक दिन में प्रयोग में लाई जाती है।कार्बन डाइऑक्साइड 418पीपीएम तक तक पहुंची तो विश्व का तापक्रम 1.1डिग्री तक बार गया है वायु प्रदूषण से कोविड का फैलाव, ट्रॉपिकल स्टॉर्म ,ग्रीन हाउस गैस का स्त्राव का बरना वही अर्थशास्त्री कार्बन टैक्स लगाने की बात कर रहे है तो 2100सन तक 2डिग्री तापक्रम वृद्धि विश्व के लिए मुख्य चुनौती होगी फूड वेस्ट 1.3 बिलियन टन है , समुंद्र 3.2एमएम प्रतिवर्ष उपर हो रहे जो 20प्रतिसत कार्बन सोखते है तो 20प्रतिसत ऑक्सीजन अमेजन फॉरेस्ट देता है 68 बिलियन टन उपरी सतह की मृदा खत्म हो रही है ,2बिलियन टन प्लास्टिक का प्रयोग होता है, जब पृथ्वी में वायु प्रदूषण ,जल प्रदूषण बायोडायवर्सिटी का नुकसान ,ओजोन परत का नुकसान,वेस्ट प्रबंधन ,मानव जनसंख्या में वृद्धि,प्लास्टिक प्रदूषण ,अधिक मछली दोहन ,भूमि नष्ट , आवास क्षय ,पर्यावरणीय क्षय सहारीकरण की समस्या है संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति पैरो की संख्या कनाडा में 8953, रूस में 4466 अमेरिका में 716 चीन में 102तथा भारत में मात्र 28है मानव को क्या करना होगा पृथ्वी संरक्षित रहे जंगल को बचाना होगा जल का संतुलित इस्तेमाल करना होगा प्लास्टिक को माना करना होगा जिससे हम जीवन को सुरक्षित रख सके ये ही पृथ्वी दिवस है।

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