नैनीताल। इन्टरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर के कर्मचारी बुधवार को नैनीताल पहुँचे। यहां उन्होंने अपने परिवार के साथ तल्लीताल स्थित डाँठ में धरना प्रदर्शन कर इन्टरार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
इस दौरान उन्होंने कहा की न्याय न मिलने पर इन्टरार्क कंपनी सिडकुल पन्तनगर व किच्छा के तमाम मजदूरों के बच्चों ने बाल सत्याग्रह शुरू कर दिया है। जिसके बाद वह कुमाऊं आयुक्त कार्यालय पहुंचे और वहां पर भी धरना प्रदर्शन कर कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को ज्ञापन देकर न्याय दिलाने की मांग की। इस दौरान आयुक्त दीपक रावत से कहा कि इन्टरार्क कंपनी के मालिक ने 16 मार्च 2022 को कंपनी की तालाबन्दी कर करीब 500 स्थाई मजदूरों को हटा दिया और उन्हें अपने बच्चों संग भूखा मरने को विवश कर दिया है। वहीं तीन माह से वेतन भी नही दिया है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। जिस कारण वह स्कूल की फीस भी नही भर पा रहें है। कहा कि उन्होंने जिला प्रशासन, श्रम विभाग समेत हर जगह फरियाद की किन्तु उन्हें कहीं भी न्याय नहीं मिला। जिसके बाद अब वह कुमाऊं कमिश्नर के पास पहुँचे है। कहा कि यदि अब भी उन्हें न्याय न मिला तो वह उत्तराखंड की न्यायप्रिय जनता, मजदूरों किसानों महिलाओं और बच्चों समेत उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
वही इन्टरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर के महामंत्री सौरभ कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 1 अप्रैल 2022 आदेश के क्रम में उत्तराखंड शासन के श्रम अनुभाग द्वारा 30 मई 2022 को जारी आदेश में कंपनी की तालाबन्दी को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। उत्तराखंड शासन को 6 हफ्ते में निर्णय लेना था किंतु उसने निर्णय लेने में करीब 9 हफ्ते लगा दिये। जो कि उच्च न्यायालय के उक्त आदेश की घोर अवमानना है। अभी भी कंपनी की तालाबन्दी समाप्त कर उक्त 500 मजदूरों को काम पर बहाल नहीं किया गया है। जो कि श्रम विभाग और प्रशासन की लापरवाही व कंपनी मालिक संग मिलीभगत को ही प्रदर्शित करता है। कहा की सहायक श्रमायुक्त द्वारा उक्त 500 मजदूरों की तालाबंदी के मामले को संज्ञान में ही नहीं लिया गया। जिस कारण से उक्त 500 मजदूर और उनके बच्चे भुखमरी की स्थिति में पहुंच गए हैं। जिसपर उन्होंने कुमाऊँ कमिश्नर दीपक रावत से ज्ञापन देकर गुहार लगाई है कि कंपनी को आदेश किया जाए और सभी 500 कर्मचारियों की बहाली तत्काल की जाए। इन्टरार्क मजदूर संगठन के कार्यकारिणी सदस्य तक्ष्मण सिंह ने कहा कि कंपनी के किच्छा प्लांट में विगत माह के दौरान 40 स्थाई मजदूरों को गैरकानूनी रूप निलंबित कर दिया है। वहीं कंपनी के प्रमाणित स्टैंडिंग ऑर्डर का उल्लंघन करीब 700 कैजुअल मजदूरों को गैरकानूनी रूप से भर्ती किया गया है। तमाम शिकायत करने पर भी श्रम विभाग मौन है। 15 दिसंबर 2018 को हुए लिखित समझौते के बावजूद भी पन्तनगर व किच्छा प्लांट के 32 बर्खास्त व निलंबित मजदूरों की अभी तक भी कार्यबहाली न करना प्रबन्धन की हठधर्मिता को ही दर्शाता है। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि प्रबंधन ने मजदूरों का एलटीए व बोनस भी काट दिया है। 4 साल से तनख्वाह भी नहीं बड़ाई है। निलंबित सभी कर्मचारियों को प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने भी अपना पूर्ण समर्थन दिया है।