नैनीताल : जैव विविधता जीवन का मूल आधार है और समस्त जीवों का जीवन इससे जुड़ा है , सिर्फ पृथ्वी है जो जीवन को सुरक्षित करती है :- प्रो. ललित तिवारी

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नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रो. ललित तिवारी ने मानव संसाधन विकास केंद्र द्वारा आयोजित फैकल्टी इंडक्शन कार्यक्रम में दो व्याख्यान दिए। प्रो. तिवारी ने कहा कि जैव विविधता जीवन का मूल आधार है तथा समस्त जीवों का जीवन इससे जुड़ा हुआ है। सिर्फ एक पृथ्वी है जो जीवन को सुरक्षित रखती है। उससे संरक्षित एवं सतत विकास के क्रम में सुरक्षित करना आज के मानव की महत्पूर्ण जिम्मेदारीहै। अगले नौ वर्ष में ३५० मिलियन हेक्टेयर भूमि बंजर हो चुकी है। भूमि के पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्जीवित कर १३से २६ गिगांटन ग्रीन गैस कम करने का प्रयास होगा तो सन २१०० तक तापक्रम वृद्धि २ डिग्री तक रुक जाएं ये बड़ी चुनौती है। जैव विविधता संरक्षण संरक्षण ही ग्लीबल गर्मी ,जलवायु परिवर्तन को कम कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति संसाधन का संरक्षण ,सभी की समान हिस्सेदारी से जैव विविधता संरक्षित की जानी चाहिए।प्रो . तिवारी ने अनुवांशिक ,जातीय , पारिस्थिकीय जैव विविधता के साथ अल्फा बीटा ,गामा जैव विविधता बताई। कहा कि जैव विविधता प्रतिवर्ष ९० बिलियन डॉलर की कार्बन को सोखती है तो भोजन एवं फार्मा से ३६ बिलियन डॉलर देते है। भारत में २०.५५ प्रतिशत तथा १६ प्रकार के वन पाए जाते है। जबकि एक तिहाई होना जरूरी है तो उत्तराखंड में ४१ प्रतिशत वन १३ प्रतिशत बुग्याल ११ प्रतिशत बर्फ ग्लेशियर के रूप में मिलती थी।जो ६५ प्रतिशत की हिस्सेदारी करती है। उत्तराखंड में १०००से२०००मीटर तक वन का घनत्व सर्वाधिक है ,पिथौरागढ़ में सबसे ज्यादा २३१६ पौधे प्रजातियां मिलती है यहां की१३.७९ प्रतिशत भाग को संरक्षित क्षेत्र में रखा गया है। मेडिसिनल पौधो का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इनका उल्लेख सुमेरियन सभ्यता से मिलता है। सूत्रा संहिता में ७००मेडिसिनल पौधे का जिक्र मिलता है। आज भारत में ७५०० उत्तराखंड में ७०१ मेडिसिनल पौधे है यह क्षेत्र २०५० तक ५ ट्रिलियन डॉलर की आर्थिकी बना सकते है तथा १० करोड़ लोग इसके लाभान्वित हो सकते है इसके लिए उत्पादन ,नियोजन ,विपणन की प्रक्रिया को मजबूत करना होगा।ऑनलाइन माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन राज्यों के सहायक प्राध्यापक प्रतिभाग कर रहे है।

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