नैनीताल में पलायन से 19 गांव वीरान, विधानसभा चुनाव में पड़ेगा कितना असर जानिए लिंक पर

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नैनीताल। गांवों में चहल पहल होना काफी सुकून देना वाला और और एक खूबसूरत एहसास होता है। लेकिन इन्हीं गांवों में से लोग जब पलायन कर शहरों की ओर जाते हैं तो पीछे रह जाता है सन्नाटा और उदासी।
नैनीताल के कई गांवों में से लोगों के पलायन करने से यहां के कई घर वीरान पड़े हुए हैं और यहां मौजूद खेत खलिहान जंगलों में तब्दील हो चुकेहै। ग्रामीणों के पलायन का एक बड़ा प्रभाव इस बार विधानसभा चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है। यदि मौजूदा हालातों की बात की जाए तो निर्वाचन आयोग के मुताबिक नैनीताल में 19 ऐसे गांव हैं जहां से लोग पलायन कर चुके हैं और इन गांवों में एक भी इंसान वर्तमान में मौजूद नहीं है। और सभी घर वीरान सुनसान खड़े है।

चुनावों में अब कुछ ही दिन बाकी है जिला निर्वाचन आयोग की तरफ से जब इस बार के मतदाताओं की संख्या गिनी गई तो आयोग को जिले के 19 गांव ऐसे मिले हैं जो अब पूरी तरह से ही वीरान पड़े हुए हैं। इन गांवों में से कुछ लोगों ने बेरोजगारी के कारण शहर की ओर कदम बढ़ाए तो वहीं कई लोगों ने किसी अन्य वजहों से यहां से पलायन किया है। जिस कारण आज यहां सिर्फ खंडहर मकान खड़े है।

तहसील के मुताबिक यदि इन गांवों की संख्या गिनी जाए तो कालाढूंगी में एक, रामनगर में दो, हल्द्वानी में दो, लालकुआं एक, नैनीताल दो, धारी में एक, कोशियकुटोली में 6 व बेतालघाट में 5 गांव वीरान सुनसान पड़े हुए हैं। जिला निर्वाचन आयोग की तरफ से इन सभी गांवों को गैर आबादी गांव घोषित किया गया है।

उपजिलाधिकारी प्रतीक जैन ने बताया की इलेक्शन कमिशन के नॉर्म्स के हिसाब से सभी जगहों पर बूथ सेटअप किया जा चुका है और ऐसी स्थिति नहीं आएगी कि पलायन की वजह से पूरा गांव खाली हो गया हो और वहां कोई बूथ ही ना हो।

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