नैनीताल: नई शिक्षा नीति को कुविवि की वेबसाइट पर 13 जनवरी को किया जाएगा अपलोड, आम नागरिक भी दे सकेंगे अपना सुझाव जानिए कैसे

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नैनीताल। उत्तराखंड के सभी राज्य विश्वाविद्यालयों में सत्र 2022-23 से कम से कम 70 फीसदी पाठ्यक्रम एक समान होगा। 30 फीसदी पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय अपनी भौगोलिक परिस्थितियों, क्षेत्रीय स्तर की अपेक्षाओं, संसाधनों के अनुरूप रख सकते हैं।
कॉमन पाठ्यक्रम को यहां कुमाऊं विवि के तत्वाधान में संपन्न तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में अंतिम रूप दिया गया। अब इस पाठ्यक्रम को 13 जनवरी को विवि की वेबसाइट में डाला जायगा जहां आम नागरिक भी इसमें संशोधन के सुझाव दे सकेंगे। उसके बाद आगामी सत्र से इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जायेगा।
राज्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को धरातल पर उतारने के लिए “नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020- करिकुलम डिज़ाइन फॉर स्टेट ऑफ़ उत्तराखंड”
कार्यशाला में आर्ट्स के 19, विजुअल आर्ट्स के 4, विज्ञान के 11 और वाणिज्य तथा प्रबंधन के विषयों के लिए राज्य के समस्त विश्वाविद्यालयों में प्रस्तावित कॉमन सिलेबस की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। पाठ्यक्रम निर्धारण एवं क्रियान्वयन हेतु कार्यशाला का विभिन्न संस्तुतियों के साथ एक सादे समारोह में कोविड प्रोटोकॉल के अनुरूप समापन हुआ। राज्य में नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम तैयार करने वाली कमेटी के चेयरमैन कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो एनके जोशी ने बताया कि कार्यशाला में समस्त विषयों का एकसमान पाठ्यक्रम तैयार करने में देश भर के विषय विशेषज्ञों ने भागीदारी की साथ ही विदेशों भी भी सुझाव प्राप्त हुए।
इसके अलावा इस अवधि में 150 वोकेशनल और 48 को करिकुलम पाठ्यक्रमों की पहचान कर उनका भी सिलेबस तैयार किया गया। अब मूल विषयों के साथ विद्यार्थी इन विषयों को भी पढ़ सकेंगे। इनमें कुछ अनिवार्य और कुछ ऐच्छिक विषय रहेंगे।
इनमें विभिन्न स्तरों पर सभी विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा, कला, संस्कृति एवं मूल्यों का समावेश किया गया है। ये विषय व्यवहारिक होने के साथ रोजगारपरक भी होंगे। कार्यशाला में वोकेशनल और को करिकुलम पाठ्यक्रम तैयार करने वाले डा. महेन्द्र राणा ने बताया कि स्नातक स्तर के छह सेमेस्टारों में प्रत्येक में विद्यार्थी एक को करिकुलम विषय भी उत्तीर्ण करना आवश्यक होगा। इनमें प्रथम सेमेस्टर में कम्युनिकेशन स्किल्स, द्वितीय में पर्यावरण विज्ञान को ह्युमन वैल्यूज, तृतीय में भगवत गीता से उद्धरित प्रबंधन के गुर, चतुर्थ में वैदिक विज्ञान या वैदिक गणित, पांचवें में रामचरित मानस से लिए गये व्यक्तित्व विकास के गुण और छठे सेमेस्टर में परंपरागत ज्ञान के मूल तत्व अथवा विवेकानंद पर आधारित अध्ययन करना होगा।
कार्यशाला में विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. एबी मेलकानी, डीन आर्ट्स प्रो. आरके पांडे, डीन वाणिज्य प्रो. अतुल जोशी, डीन प्रबंधन प्रो. पीसी कविदयाल, डीन विजुअल आर्ट्स प्रो. एमएस मावरी ने अपने संकायों के विषयों के सिलेबस की रिपोर्ट प्रस्तुत की। संचालन और धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला के संयोजक प्रो. संजय पंत ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव दिनेश चन्द्रा, डीएसबी निदेशक प्रो. एलएम जोशी सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष और अध्यापक उपस्थित थे।

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