नैनीताल : नैनीताल में होटल व्यवसायी ने बैंक से 31 लाख 50 हजार का लोन लिया, बैंक ने ठीक 5 साल बाद 76 लाख का फर्जी वसूली दावा ठोक दिया, जिम्मेदार कौन?

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नैनीताल शहर में बीते दिनों धोखाधड़ी का एक बड़ा मामला सामने आया था। जिसमें एक होटल स्वामी पर होटल के फर्जी दस्तावेज बनाकर होटल लीज पर देने के आरोप लगे थे। जिस पर लीज धारक विवेक सक्सेना ने होटल स्वामी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। वहीं पुलिस भी मुकदमा दर्ज कर जांच में जुट गई थी। लेकिन अब इस मामले में नया खुलासा हुआ हैं, जिसके मुताबिक दरअसल धोखाधड़ी लीज धारक नही बल्कि होटल मालिक के साथ हुआ हैं, जिसमें अनामिका टूरिज़्म कॉम्प्लेक्स के स्वामी सुदर्शन शाह ने इलाहाबाद बैंक जो जिसे वर्तमान में इंडियन बैंक के नाम से जाना जाता है उसपर और कुछ लोगों पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है।

शाह के जानकारी देते हुए बताया अनुसार वर्ष 1989-90 में उन्होंने इलाहाबाद बैंक से 31 लाख 50 हजार रूपए का कर्ज लिया था। शाह के अनुसार उन्हें सैंट्रल इनवेस्टमेंट सब्सिडी के तहत 8 लाख रूपए की सब्सिडी मिलनी थी लेकिन फाइल उद्योग विभाग की देरी के कारण सब्सिडी मिलने का समय निकल गया जिसका वाद अभी भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विचाराधीन है । इसके बाद इलाहाबाद बैंक ने सन 1995 में सिविल न्यायालय नैनीताल में सुदर्शन शाह पर वसूली के लिए 76 लाख रूपए का मुकदमा दर्ज करा दिया। जिसके बाद वाद ऋण वसूली न्यायाधिकरण जबलपुर और फिर ऋण वसूली न्यायाधिकरण इलाहाबाद पहुंचा और ऋण वसूली न्यायाधिकरण इलाहाबाद ने सभी तथ्य जांच कर 13-06-2003 को इलाहाबाद बैंक का दावा खारिज कर दिया ।
जिसके बाद बैंक के कुछ अधिकारियों ने षड़यंत्र के तहत साजिश करते हुए सर्फ़ेसी एक्ट (SARFAESI ACT) लगा कर कार्यवाही कर डाली और उसमें दलील दी कि उन्होंने दावा खारिज होने से पहले 12-04-2003 को 13/2 का नोटिस बद्री विशाल समाचार पत्र हरिद्वार में प्रकाशित कर दिया था । और बैंक इसी तथ्य को लेकर कार्यवाही करते हुए बिना सुदर्शन शाह को जानकारी देकर ऋण वसूली न्यायाधिकरण ( DRT) ,ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (DRAT), उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय तक नोटिस का हवाला देकर शपथ पत्र देता चला गया । और इसी आधार पर बैंक अपने हक में न्यायालय से एकतरफा निर्णय लेता चला गया ।
सर्वोच्च न्यायालय से जब सुदर्शन शाह की विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज हुई तो सुदर्शन शाह समाचार पत्र में छपे नोटिस की सत्यता जानने हरिद्वार पहुंचे और वहाँ बद्री विशाल समाचार पत्र में 12/04/2003 को छपे नोटिस की प्रति मांगने पर बद्रि विशाल प्रबंधन ने बताया कि 12/04/2003 से लेकर 15/04/2003 तक मशीन शिफ्टिंग के कारण समाचार पत्र छपा ही नहीं और इसकी पुष्टि बद्री विशाल समाचार पत्र ने सुदर्शन शाह को बतौर लिखित प्रमाण पत्र देकर की ।
चूंकि DRT इलाहाबाद ने बैंक दावा 13/06/2003 को खारिज किया था इसलिए बैंक ने फर्जीवाड़ा करते हुए सर्फ़ेसी एक्ट 13/2 की कार्यवाही दावा खारिज होने से पहले की तिथि 12/04/2003 में दिखाकर कर डाली ।
शाह के अनुसार जब 12/04/2003 को जब बद्री विशाल समाचार पत्र छपा ही नहीं तो सर्फ़ेसी एक्ट 13/2 का नोटिस 12/04/2003 को कैसे प्रकाशित हो सकता है और जब 13/2 का नोटिस आया ही नहीं तो 13/4 एवं अन्य कार्यवाही कानून के अनुसार अमल में नहीं लायी जा सकती । लेकिन बैंक के द्वारा सर्फ़ेसी एक्ट 13/2 के नोटिस का हवाला और मूल तथ्य छिपाकर जिलाधिकारी नैनीताल को गुमराह करते हुए 13/4 सर्फ़ेसी एक्ट के तहत कार्यवाही के आदेश जारी करवा दिये जिस पर सुदर्शन शाह फिर से DRT लखनऊ पहुंचे और DRT लखनऊ ने 13/4 सर्फ़ेसी एक्ट की कार्यवाही पर 28.04.2011 तत्काल स्थगन आदेश जारी कर दिये ।

बैंक के द्वारा स्थगन आदेश से पूर्व सन 2007 में ही फर्जी नोटिस के आधार पर आपसी मिली भगत के द्वारा 2 खरीदार भी खड़े कर दिये और 50 करोड़ की संपत्ति को महज 75 लाख रुपए में नीलाम होना दिखा दिया , और बैंक के द्वारा षड़यंत्र के तहत एक फर्जी सेल लेटर 2011 में जारी कर दिया । जिसके बाद तथाकथित बैंक के द्वारा खड़े किए गए ख़रीदारों द्वारा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल को पार्टी बनाकर उच्च न्यायालय में वाद दायर कर कब्जा लेने की कोशिश आजतक लगातार जारी है । जबकि सर्फ़ेसी एक्ट की सम्पूर्ण कार्यवाही 13/2 के नोटिस न छपने के कारण अवैध है ।
जिसको लेकर सुदर्शन शाह ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन पर बैंक द्वारा उसके साथ किए गए फर्जीवाड़े को खोलने के लिए कई बार गुहार लगाई है चूंकि बैंक के द्वारा सुदर्शन शाह पर किया गया दावा DRT इलाहाबाद के द्वारा निरस्त हो चुका था और संबन्धित न्यायालय ने भी माना था कि बैंक के द्वारा 12/04/2003 को बद्री विशाल पेपर में छापे गए 13/2 के नोटिस झूठे है क्योंकि जब बद्री विशाल समाचार पत्र का प्रकाशन हुआ ही नहीं तो नोटिस कैसे छप सकता है ।

इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सुदर्शन शाह ने अनामिका टूरिज़्म कॉम्प्लेक्स को 2019 में अनामिका होटल के 18 कमरे किराए पर कॉसमॉस होटल एंड रिसोर्ट को 10 वर्षों के लिए दिये थे । जिसमें 2 वर्ष का किराया प्राप्त किया जा चुका है और तीसरे वर्ष का किराया आना अभी बाकी है। सुदर्शन शाह ने बताया कि मई 2021 को कॉसमॉस होटल एंड रिसोर्ट के द्वारा अनामिका होटल में अनैतिक और अवैध कार्य किए जा रहे थे जिसकी लिखित शिकायत पुलिस में की गयी थी पुलिस के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होने के बाद उच्च न्यायालय नैनीताल ने पुलिस को प्राथमिकी दर्ज़ करने के आदेश दिये थे । और अब कॉसमॉस होटल एंड रिसोर्ट के निदेशक विवेक सक्सेना ने सुदर्शन शाह पर तल्लीताल थाने में आईपीसी की धारा 420 और 506 के तहत धोखाधड़ी और धमकी का केस पंजीकृत करवाया है जिसमें कॉसमॉस होटल एंड रिसोर्ट ने पुलिस को 2011 का बैंक का सेल लेटर दिखाया है जबकि शाह ने जो दस्तावेज़ दिये है उससे पता चलता है कि बैंक के द्वारा दिया गया सेल लेटर और सर्फ़ेसी एक्ट (SARFAESI ACT) की कार्यवाही के सम्पूर्ण दस्तावेज़ फर्जी है और न्यायालय के द्वारा बैंक दावा खारिज होने के पश्चात बैंक ने षड्यंत्र के तहत संपत्ति हथियाने के लिए दस्तावेज़ तैयार किए थे ।

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