नैनीताल। क्या कभी किसी जंगली जानवर को पालतू जानवर की तरह ही बर्ताव करते हुए देखा है. नैनीताल के रानीबाग रेस्क्यू सेंटर में मौजूद है एक बाघिन, शिखा, जिसका बर्ताव बिलकुल एक पालतू जानवर की तरह है. वह रेस्क्यू सेंटर में उसकी देखभाल करने वाले कर्मचारियों के साथ बड़े ही अच्छे ढंग से पेश आती है.
दरसल साल 2019 में नैनीताल के पूर्वी तराई के जंगलों में भयानक आग लगने के दौरान वन विभाग ने एक 3 महीने के बाघ के बच्चे को वहां से रेस्क्यू किया था. वन अधिकारियों द्वारा उसकी मां को भी ढूंढा गया लेकिन उसका पता नहीं चल पाया.
तब से वन अधिकारीयों ने उस बाघ के बच्चे को अपने दम पर ही पाला है. फिलहाल वह बाघिन अब ढाई साल की हो गई है.
रेस्क्यू सेंटर में शिखा का इलाज करने वाले डॉ हिमांशु पांगती के अनुसार वह शुरू में काफी गुस्सैल और आक्रामक थी. लेकिन जल्द ही वह उसकी देखभाल करने वाले स्टाफ के कर्मचारियों के साथ काफी घुल मिल गई और इस तरह बर्ताव करने लगी जैसे वह सब एक ही परिवार के हों. चिकित्सक परिक्षण के दौरान भी वह पूरा सहयोग करती है. शिखा को अपने केयरटेकर्स के साथ समय बिताना भी काफी अच्छा लगता है.
नैनीताल डीएफओ टीआर बीजूलाल बताते हैं कि हर तरह के जानवर में बचपन में इंप्रिंटिंग की प्रोसेस होती है. इस प्रोसेस के दौरान जिससे भी उसको एक अच्छा पेरेंटल केयर और सपोर्ट मिलता है वह वैसा ही बीहेव करने लगता है. शिखा का ऐसा बर्ताव भी इंप्रिंटिंग का ही एक उदाहरण है. बीजूलाल बताते हैं कि साल 2020 में शिखा को नैनीताल के हाई एल्टीट्यूड जू में शिफ्ट किया था लेकिन वहां मौजूद बाघों ने उसको अपने हैबिटैट में ज्यादा दिनों तक रहने नहीं दिया इसलिए उसे वापिस रानीबाग में ही शिफ्ट करना पड़ा. फिलहाल उसकी केयर उसी सेंटर में की जा रही है.