हैप्पी बर्थडे नैनीताल: छोटी विलायत के नाम से मशहूर नैनीताल का आज है जन्मदिन, कहाँ मनाया जाएगा आज ये खास दिन खबर के लिंक में देखिए

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नैनीताल। अंग्रेजों ने उत्तराखंड में पहली बार 1815 में अल्मोड़ा शहर में प्रवेश किया था। अल्मोड़ा में गार्डनर नामक अंग्रेज की कमिश्नर के रूप में पहली नियुक्ति हुई थी। इसी क्रम में नैनीताल की खोज भी एक गौरवशाली इतिहास में जुड़ी है।
बता दें की 11नवंबर 1841 में कुमाऊं के चौथे कमिश्नर जॉर्ज थॉमस लूसिंटन के माध्यम से नैनीताल के खोजकर्ता पीटर बैरन को पता चला की अल्मोड़ा से 30 मील की ढलान के बाद फिर 11 मील की खड़ी चढ़ाई पार करने पर शानदार वादियों में एक सरोवर मौजूद है। पीटर बैरन इस सरोवर को देखने के लिए अपने दो मित्रों कैप्टन सी केसी और कैप्टन वीलर एक्सिक्यूटिव इंजीनियर पीडब्ल्यूडी कुमाँऊ हिल्स के साथ इस सरोवर की खोज में निकल पड़े। रातीघाट पैदल मार्ग से होते हुए पीटर बैरन 18 नवंबर 1841 में नैनीताल पहुँचे। जिसके बाद उन्होंने 1844 में नोट्स इन द वर्ल्ड इन द हिमालय आगरा अखबार नाम से लंदन से प्रकाशित होने वाली पुस्तक में पी बैरन ने लिखा कि उन्होंने हिमालय की 950 मील लंबी यात्रा में कैसे सरोवर को ढूंढ लिया है। जो इंग्लैंड के आबोहवा के रूप में मेल खाती है। जिसके बाद कुमाऊं कमिश्नर जॉर्ज थॉमस लुसिगटन ने नैनीताल को आधिकारिक रूप से 1842 में यूरोप सेटलमेंट के तहत बसाया और तब से लेकर आज तक कई उतार-चढ़ाव देखते हुए नैनीताल जिसको छोटी विलायत के नाम से भी जाना जाता है उसे आज 180 वर्ष पूरे हो गए हैं। और हर वर्ष 18 नवंबर को नैनीताल का जन्मदिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वहीं आज नैनीताल जन्मदिन नैनीताल के तल्लीताल स्थित नए बस स्टेशन में बनाया जाएगा।


पी बैरन ने नैनीताल की 1841 naineetal स्पेलिंग लिखी। रैम्जे ने 1869 nyneetal लिखी, 1892 में क्रोस्थावत ने nainital लिखी थी जो 1892 से अब तक चली आ रही है।


वहीं बता दें नैनीताल को जोड़ने वाली पहली सड़क काठ सड़क बनी थी जिसको वर्तमान में नैनीताल हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग के नाम से जाना जाता है। विश्व मे सबसे ऊचें स्थान पर पाल नौका नैनीझील में चलती है।

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