देहरादून: आय से अधिक संपत्ति मामले में जेल में बंद उत्तराखंड के रिटायर्ड आईएएस राम विलास यादव को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया है. राम बिलास यादव इन दिनों देहरादून जेल में बंद हैं. यादव पर PMLA (मनी लांड्रिंग एक्ट) के तहत कार्रवाई की गई थी. जानकारी के मुताबिक, ईडी ने अभी राम विलास यादव को फॉर्मल अरेस्ट किया है. ईडी ने जेल में जाकर फॉर्मल अरेस्टिंग दिखाई है और इसके लिए ईडी कोर्ट मेंं अपील भी कर चुकी है. कोर्ट से वारंट जारी होने पर राम विलास यादव को ईडी पूछताछ के लिए हिरासत में जल्द ले सकती है.
आय से अधिक संपत्ति का आरोप: रिटायर्ड आईएएस राम विलास यादव पर आरोप है कि उन्होंने तीन साल में अपनी आय से 2600 फीसदी अधिक संपत्ति अर्जित कर ली थी. उत्तराखंड विजिलेंस ने राम विलास यादव की संपत्ति का करीब 2500 पेज का ब्यौरा कोर्ट में पेश किया था. बता दें कि राम विलास यादव पर जब आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगा था, उस समय वो उत्तराखंड सरकार में अतिरिक्त सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. हालांकि राम विलास यादव ने अपने कार्यकाल में अधिकाश सेवाएं यूपी में दी हैं, वो साल 2017 में देहरादून आए थे और शासन ने उन्हें समाज कल्याण विभाग की जिम्मेदारी दी थी.
जानकारी के मुताबिक, तभी यूपी सरकार ने राम विलास यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की सिफारिश की थी. इसके उत्तराखंड विजिलेंस ने मामले की जांच शुरू की. जांच के बाद साल 2022 में विलिजेंस ने देहरादून में राम विलास यादव के खिलाफ आय अधिक संपत्ति अर्जित करने का मुकदमा दर्ज किया था. पूछताछ के लिए विलिजेंस ने राम विलास यादव को कई नोटिस भेज, लेकिन वो विलिजेंस के समक्ष पेश नहीं हुए. हालांकि 23 जून 2022 को विलिजेंस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था, तभी से वो जेल में हैं. अब इस ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया है. Ram Vilas Yadav प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जारी किया प्रेस नोट.
ED ने जारी किया प्रेस नोट: वहीं, ईडी की तरफ से जो प्रेस नोट जारी किया गया है. उसके मुताबिक ईडी ने आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत विलिजेंस देहरादून द्वारा राम विलास यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की. जांच अवधि 1 जनवरी 2013 से लेकर 31 दिसंबर 2016 तक आय के ज्ञात स्रोतों के माध्यम से राम विलास यादव ने ₹78,51,777 (78 लाख 51 हजार 777) की कमाई की है, लेकिन उनके खर्च ₹21.40 करोड़ रुपए हुए हैं. इसलिए उन पर आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप लगाया गया है. ₹20.61 करोड़ जो उनकी कानूनी आय के ज्ञात स्रोतों से 2626% अधिक है.
इसके अलावा, पीएमएलए 2002 के तहत जांच के दौरान यह पता चला है कि आरोपी ने अवैध तरीके से अर्जित धन का उपयोग करके और यूपी-उत्तराखंड में एक सरकारी कर्मचारी के नाते अपने पद का दुरुपयोग करके लखनऊ में कई जमीनें, फ्लैट, घर, स्कूल, ट्रस्ट और परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदा है.
बता दें कि, राम विलास यादव 2019 में यूपी से उत्तराखंड आए थे. गिरफ्तारी के वक्त वो उत्तराखंड में सचिव के पद पर कार्यरत थे. इससे पहले वो लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव और मंडी परिषद में एडिशनल डायरेक्टर रह चुके हैं. वहीं, राम विलास यादव उत्तराखंड के 22 वर्षों के इतिहास में जेल भेजे जाने वाले पहले आईएएस हैं.