नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून से गणेशपुर होते हुए सहारनपुर तक 19.5 किलोमीटर निर्माणाधीन नेशनल हाईवे के मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा कि शिवालिक रेंज में जो ढाई हजार से अधिक पेड़ काटे जा रहे हैं उनकी भरपाई के लिए कहां व कितने पेड़ लगा लगा रहे हैं। कोर्ट ने डीएफओ को 24 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश भी दिए हैं। यहां मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून निवासी रीना पॉल व हल्द्वानी निवासी अमित खोलिया की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि देहरादून से सहारनपुर के निकट गणेशपुर के बीच 19.5 किलोमीटर नेशनल हाईवे निर्माणाधीन है। जिसमें से तीन किलोमीटर सड़क देहरादून व राजाजी नेशनल पार्क के ईको सेंसटिव जोन से होकर गुजर रही है। चौड़ीकरण होने से ईको सेंसटिव जोन का नौ हेक्टेयर क्षेत्रफल कम हो रहा है। जिसका वहां विचरण करने वाले वन्यजीवों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। या फिर वन्यजीवों का क्षेत्र कम हो रहा है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि रोड चौड़ीकरण के लिए करीब 2700 पेड़ काटे जाने है। इन पेड़ों की उम्र करीब 100 से 150 साल है और इन्हें राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है। इन परिस्थितियों में केंद्र व राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है। मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को मौका मुआयना करना होता हैए जो कि नहीं किया गया और सीधे अनुमति दे दी गई। ईको सेंसटिव जोन कम हो रहा है, उसके बदले कहीं अन्य क्षेत्र में इसका विस्तार नहीं किया जा सकता। इसकी जांच कराई जाय। कोर्ट ने इसके निर्माण पर पहले ही रोक लगा रखी है।
सुनील बोरा
संपादक