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जब मनोज गोस्वामी काठगोदाम थाने में शिकायत लेकर जाता है तो काठगोदाम पुलिस हृदयेश कुमार के खिलाफ 504 और 506 के तहत मुकदमा पंजीकृत करती है लेकिन आज तक उसकी चार्जशीट कौर्ट तक नहीं पहुँच पाती है । और जब इस बात को लेकर मनोज गोस्वामी हल्द्वानी में लगे डीजीपी अशोक कुमार के जनता दरबार में पहुंचता है तो पुलिस उसे वहाँ से भी उठा ले जाती है ताकि उच्च अधिकारियों तक स्थानीय पुलिस की कारगुजारियाँ पता न लग जाएँ जिसके बाद मनोज गोस्वामी उत्तराखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से मिलता है जिस पर जिले के एसएसपी कांग्रेसी नेता जिस पर पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज़ है जिलाबदर करने की कार्यवाही के निर्देश जारी करते है लेकिन कांग्रेसी नेताओं के दबाव के चलते कार्यवाही नहीं हो पाती और कई महीनों तक फाइल लटक जाती है अवैध खनन पर स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही न होने पर पीढ़ित कुमाऊँ मंडलायुक्त से मिलता है जिस पर कुमाऊँ मंडलायुक्त दीपक रावत अवैध खनन को रोकने के लिए संबन्धित विभाग को निर्देश जारी करते है जैसे ही मनोज गोस्वामी शिकायत कर मंडलायुक्त के कार्यालय से निकलता है तो घात लगाए कुछ लोग पीढ़ित मनोज गोस्वामी और उसके बच्चे पर लोहे की रौड से वार करते है पीढ़ित के हेलमेट पहने होने की वजह से रौड का वार विफल हो जाता है और मनोज गोस्वामी के कंधे पर चोट लगती है जिसके बाद मनोज गोस्वामी अपनी जान बचाने को भागता है कई लोगों से मदद मांगने के बाद एक परिचित की मदद से उनके घर में पनाह मिलती है और फिर पुलिस को सूचना दी जाती है पुलिस मौके पर पहुँचती है और हमलावर फरार हो जाते है जिसके बाद पीढ़ित फिर इसकी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाता है और पुलिस नामजद तहरीर के आधार पर कई संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर देती है जिसमें हत्या की कोशिश करने की धारा 307 भी आरोपियों पर लगाई जाती है लेकिन उसी दिन अचानक चमत्कार होता है और कई महीनो से जिलाबदर को लटकी फाइल आगे बढ़ती है और हमले के कुछ घंटे पहले ही मुख्य आरोपी कांग्रेसी नेता हृदयेश कुमार को नैनीताल से जिलाबदर कर दिया जाता है । कई दिन बीतने के बाद जब कार्यवाही नहीं होती तो सूत्रों से पता चलता है कि कांग्रेसी नेता का पुलिस पर दबाव काम कर रहा है जिसकी झलक एसएसपी से किए गए वार्तालाप से मिलती है दूरभाष पर नैनीताल एसएसपी पंकज भट्ट स्थानीय संवाददाता को बताते है कि दफा 307 यूं ही लगा दी गयी है ऐसा कोई केस नहीं बनता है और एसएसपी पंकज भट्ट के द्वारा यह भी कहा गया कि आरोपी हृदयेश कुमार तो जिला बदर है जब आयेगा तो कार्यवाही करेंगे इसका सीधा मतलब है कि नैनीताल पुलिस के कप्तान खुद इस बात को मानते है कि कोई भी धारा पोलिस लगा सकती है और बिना जांच के हटा भी सकती है और आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस कोशिश नहीं करती बल्कि उनका आने का इंतजार करती है ताकि वो खुद पुलिस के पास आए और सरेंडर करें । सार्वजनिक तौर पर साफ देखा जा सकता है कि पीढ़ित मनोज गोस्वामी और उसका 11 साल का बेटा जो हमले का विस्तृत ब्योरा सार्वजनिक लगतार पुलिस को दे रहे है पुलिस उस पर पुलिस जांच नहीं कर रही है एक बार मान भी लिया जाये कि आरोपी हृदयेश कुमार ने हमला नहीं किया तो क्या जांच पूरी होने तक मनोज गोस्वामी को पुलिस सुरक्षा मुहैया नहीं करवा सकती थी ताकि सच सामने आ सके और अगर वास्तव में हिश्ट्रीशीटर रहे हृदयेश कुमार ने जानलेवा हमला किया है तो क्या पुलिस को दूसरे हमले का इंतजार है ताकि वो हमला करने आए और उसके बाद पुलिस गिरफ्तार कर सके ।