प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में नैनीताल के एक ग्राम प्रधान दीकर सिंह मेवाड़ी का जिक्र किया। दीकर सिंह मेवाड़ी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ में जिक्र होने के बाद वह राष्ट्रीय फलक पर छा गए हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में मन की बात कार्यक्रम को सुना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में चक्रवात बिरपजॉय, जल संरक्षण, टीवी मुक्त अभियान समेत कई मुद्दों पर बात की। जिसे सीएम धामी, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल समेत अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्ता ने सुना। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि आज मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने जन भागीदारी, सेवा भाव से होने वाले सामाजिक कार्यों का उल्लेख किया है। उन्होंने भारत को 2025 तक ‘टीबी मुक्त भारत’ बनाने के संकल्प को दोहराया है। सीएम धामी ने कहा कि पीएम मोदी ने नैनीताल निवासी और निक्षय मित्र दीकर सिंह मेवाड़ी का उल्लेख किया। जिन्होंने टीबी मुक्त भारत के संकल्पों को पूरा करने के मकसद से टीबी के 6 मरीजों को गोद लिया है। वहीं सीएम धामी ने दीकर सिंह से फोन पर वार्ता कर उनके कार्यों की सराहना की।
बता दें कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का 102वां एपिसोड था। इस बार पीएम मोदी ने एक हफ्ते पहले ही मन की बात के जरिए लोगों को संबोधित किया। इसकी वजह भी पीएम मोदी ने बताई। पीएम मोदी ने मन की बात में कहा कि वे अगले हफ्ते अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं। ऐसे में वहां का कार्यक्रम काफी व्यस्त रहने वाला है। इसलिए एक हफ्ते पहले मन की बात के जरिए जनता को संबोधित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में चक्रवात बिरपजॉय, जलवायु परिवर्तन, कृषि, कला, संस्कृति और स्वास्थ्य सभी विषयों को शामिल किया। पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम में हर बार कुछ नया पेश करते हैं ताकि समाज को उसकी जानकारी मिल सके। उन्होंने चक्रवात बिरपजॉय से निपटने के लिए कच्छ के लोगों को याद किया। उन्होंने कहा कि देश के पश्चिमी हिस्से में बड़ा चक्रवात आया। तेज हवाएं, भारी बारिश ने कच्छ में भारी तबाही मचाई है, लेकिन कच्छ के लोगों ने जिस साहस और तैयारी के साथ खतरनाक चक्रवात का मुकाबला किया वो काफी अभूतपूर्व है। पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का नियंत्रण नहीं है लेकिन आपदा प्रबंधन की जो ताकत भारत ने विकसित की है वो आज मिसाल बन रही है। प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बड़ा तरीका प्रकृति का संरक्षण है। आज देश ‘कैच द रेन’ जैसे सामूहिक प्रयास कर रहा है। लोगों ने अपनी इस प्राकृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का फैसला किया। लोगों के सामूहिक प्रयास से नीम नदी फिर से बहने लगी है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में ये भी कहा कि नदी के उद्गम स्थल हेड वाटर को भी अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने जल संरक्षण का जिक्र करते हुए बांदा और बुंदेलखंड में पानी की कमी बताया।
इसके अलावा उन्होंने टीबी मुक्त भारत बनाने को लेकर चलाए जा रहे अभियान का भी जिक्र किया। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यक्रम में देश में चल रहे टीबी उन्मूलन अभियान की बात कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ” आपने रामायण की उस नन्हीं गिलहरी के बारे में जरुर सुना होगा, जो रामसेतु बनाने में मदद करने के लिए आगे आई थी। कहने का मतलब ये है कि जब नीयत साफ हो, प्रयासों में ईमानदारी हो, तो फिर कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं रहता। भारत भी आज इसी नेक नीयत से एक बहुत बड़ी चुनौती का मुकाबला कर रहा है। ये चुनौती है – टी.बी. की, जिसे क्षय रोग भी कहा जाता है। भारत ने संकल्प किया है 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत बनाने का, लक्ष्य बहुत बड़ा ज़रूर है। एक समय था जब टी.बी. का पता चलने के बाद परिवार के लोग ही दूर हो जाते थे, लेकिन ये आज का समय है, जब टी.बी. के मरीज को परिवार का सदस्य बनाकर उनकी मदद की जा रही है। इस क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए निक्षय मित्रों ने मोर्चा संभाल लिया है। देश में बहुत बड़ी संख्या में विभिन्न सामाजिक संस्थाएं निक्षय मित्र बनी हैं। गाँव-देहात में पंचायतों में हजारों लोगों ने खुद आगे आकर टी.बी. मरीजों को गोद लिया है। कितने ही बच्चे हैं जो टीबी मरीजों की मदद के लिए आगे आए हैं। ये जन-भागीदारी ही इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत है। इसी भागीदारी की वजह से आज देश में 10 लाख से ज्यादा टी.बी. मरीजों को गोद लिया जा चुका है और ये पुण्य का काम किया है क़रीब-क़रीब 85 हजार निक्षय मित्रों ने। मुझे खुशी है कि देश के कई सरपंचों ने ग्राम प्रधानों ने भी ये बीड़ा उठा लिया है कि वो अपने गांव में टी.बी. को समाप्त करके ही रहेंगे।“